निश्चित सफलता के हैं चार मंत्र इनका पालन कीजिए, एक साल में जिंदगी की दिशा बदल जाएगी


Anand Kumar Sir की सुपर 30 में गांव-देहात से आये ऐसे बच्चे जिनकी प्रारंभिक शिक्षा भी अच्छे तरीके से नहीं हुई है, वे लगभग सभी आईआईटी जैसे कॉम्पिटिशन में क्वालीफाई कर जाते हैं । उन्हें आप कैसे मोटीवेट करते हैं कि शहर के बड़े-बड़े कोचिंग-सेंटर से तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के मुकाबले ज्यादा खरे उतरते हैं ? आखिर सफलता का मंत्र क्या है ? मुझसे पूछे जाने वाले ये सब बड़े सामान्य प्रश्न हैं। आज मैं आपलोगों से अपने अनुभव पर आधारित उन चार सफलता के मन्त्रों के बारे में बात-चीत करने जा रहा हूं जो मैं अपने विद्यार्थियों को सिखाता हूं।
पहला मंत्र है प्रबल प्यास : चाहे आप सीए ,यूपीएससी, आईआईटी, मेडिकल की तैयारी करते हों या फिर लेखक, पत्रकार, कलाकार, स्पोर्ट्स पर्सन बनना चाहते हैं, आपके मन में प्रबल प्यास का होना नितांत आवश्यक है। पूरे दिन, सुबह उठने से लेकर रात सोने तक लगातार आपके दिमाग में वही बातें चलती रहनी चाहिये जो आपके लक्ष्य से सम्बंधित हों। उदाहरण के लिए अगर आप आईआईटी प्रवेश-परीक्षा की तैयारी करते हैं तब दिन भर आपके दिमाग में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथेमैटिक्स के फॉर्मूले ही चलते रहने चाहिए। अगर आपके दिमाग में विषय के अलावा अन्य कई बातें बेवजह चलती रहती हैं तब आप समझ सकते हैं कि आप रास्ते से भटक गए हैं।
दूसरा मंत्र है सकारात्मक सोच : आपका सकारात्मक सोच से भरा रहना बेहद जरूरी है। सकारात्मक सोच को आप कॉन्फिडेंस का भी नाम दे सकते हैं। अगर आपके दिमाग में 1 प्रतिशत भी नकारात्मक बातें आ रहीं हैं तब आपकी सफलता पर संदेह है। आपको हमेशा ऐसा महसूस होना चाहिए कि आपको सफलता मिलेगी और जरूर मिलेगी।
तीसरा मंत्र है अथक प्रयास : लगातार कठिन अभ्यास का कोई विकल्प नहीं है। इसीलिए तो मैं सफलता का सारा श्रेय सुपर 30 के उन तमाम बच्चों को देता हूं जो दिन रात में बगैर फर्क किए 16 घंटे तक बिना थके, बिना रुके मेहनत करते रहते हैं। मेरे पिताजी अक्सर कहा करते थे कि अगर पढ़ाई बिना मेहनत किए सिर्फ पैसे खर्च करने से हो जाती तब हर अमीर का बच्चा विद्वान हो जाता।
और अंत में चौथा मंत्र है असीम धैर्य : यह सबसे महत्वपूर्ण है। आप में प्रबल प्यास है। सकारात्मक सोच है। और आप खूब मेहनत भी कर रहें हैं , लेकिन कई बार लोग धैर्य के आभाव में टूट जाते हैं। मंजिल के एकदम पास आकर भी लौट जाते हैं । संभव है कि कुछ दिनों के लगातार और ईमानदार प्रयासों के बावजूद आपको सफलता हासिल न हो। बार-बार प्रयास करने के बावजूद भी निराशा हाथ लग सकती है। उसी वक्त हार नहीं मानना है। बस धैर्य बनाए रखने की जरूरत है। निराशाओं से घबराने के बजाए यह सोचना है कि है कि रात जितनी गहरी हो रही है, अंधेरी हो रही है हम सवेरे के उतने ही नजदीक पहुंच रहें हैं।
मैं अपने अनुभव के आधार पर दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर आप ईमानदारी से कम से कम एक वर्ष तक इन चारों मन्त्रों को अपने जीवन में शामिल कर लेंगें तब आप देखेंगे कि आपके जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आ गया है।
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