हम भारतीयों की सोच , Thinking of Indian people's By Akhil Marden

 

भारत में जब कोई युवा किसी प्रतियोगी

परीक्षा को पास करता है

तब उसकी सफलता की कहानी बताते समय यह बताया

जाता है कि, इसके पिताजी रिक्शा चलाते थे या होटल में

प्लेट साफ करते थे.....

. और देखिए आज उनका बेटा

आईएएस/डॉक्टर/CA/Dr.बन गया है

पहली चीज, IAS PCS भी एक वही पद है, गुलामी का......

.. नेताओ की, और CA मतलब संसार का सबसे

ब्रीलयन्ट दिमाग, काले पैसे को कैसे सफेद किया जाए...

इसी में लगा रहता है.

. इस पूरे विवरण में जो विचार है.

वह यह

है की रिक्शा चलाना या होटल में प्लेट साफ करना नीचा

और छोटा काम है, और आईएएस , PCS, CA, Dr. ऊंचा होता है............

..... असल में भारत में कामों को लेकर व्यक्ति की

इज्जत और बेइज्जती निर्धारित होती है, और इसके पीछे है

अंग्रेजी मानसिकता !!!

प्लेट धोने वाले और रिक्शा चलाने वाले की इज्जत नहीं

होगी......... आईएएस की इज्जत होगी !!!

इसलिए भारत में शरीर से काम श्रम करना हमेशा नीच कर्म

और प्रशासन शासन धनवान बनना उच्च कार्य माना गया है

!!!

4. . भारत में बहुत सारे बच्चे इसलिए भी

आत्महत्या करते हैं, क्योंकि हमने उन्हें सिखाया है कि यदि

तुम डॉक्टर, CA, इंजीनियर आईएएस आईपीएस नहीं बने तो

तुम्हारी जिंदगी बेकार है......

. अब समाज में ना तुम्हारी इज्जत होगी ना तुम्हें पैसा

मिलेगा !!!

...... व्यक्ति की इज्जत उसके इंसान होने के कारण

करने की बजाए , हम इज्जत उसके पद या उसके पैसे की

करते हैं..

समाज में हर काम जरूरी है, यदि कचड़ा उठाने वाला

कचड़ा न उठाएं तो.... और 1 साल न उठाएं तो...?? यदि

खेती करने वाला ........खेती न करे तो..?????

जितनी जरूरत आपको आईएएस आईपीएस, CA, डॉक्टर

इंजीनियर या कारपोरेट में काम करने वाले या बैंकर अथवा

फिनेंशियल एक्सपर्ट की है..

.........

. उतनी ही जरूरत कार मैकेनिक प्लंबर स्वीपर

कॉबलर टैक्सी ड्राइवर किसान और मजदूर की भी है

..लेकिन आपके दिमाग में श्रमण विरोधी

संस्कार भर दिया गया है . जिसके मुताबिक

मानसिक श्रम श्रेष्ठ है और शारीरिक श्रम करने वाले नीच

जात के होते हैं !!!

. हम मेहनतकश को जीवन भर अपमानित करते

हैं और उसकी जिंदगी को सजा बना देते हैं

इसलिए हमें कभी इस बात को बताते समय कि इस

आईएएस के पिता रिक्शा चलाते हैं यह नहीं जताना चाहिए

कि देखो पिताजी कितने छोटे हैं और बेटा कितना बड़ा हो

गया.

क्योंकि किसी भी लिहाज से रिक्शा चलाना

छोटा काम और कुर्सी पर बैठकर काम करना ऊँचा काम

नहीं हो सकता !!!..

ईस्वर ने सभी के लिए कोई न कोई कार्य चुना है..

ईमानदारी, मेहनत और लगन से कीजिये, जब तक ईस्वर ने

वह काम आपको सौंपा है......... जिसदिन आप उस

काबिल नहीं हो गए, वही काम कोई और करेगा, किन्तु

करेगा अवश्य

इंसान के चेहरे बदलते रहते हैं, कर्म तो करना ही होगा

सोचना पड़ेगा ।। 

First We are Human being 😊🙏 . 

 Regards : 

Akhil Marden

Comments

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

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  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

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