एक नई सोच की प्यासी दुनिया, नाम के तेरे प्यासी है Ek Nayi soch ki pyasi Duniya poem Written By Akhil Marden


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एक नई सोच की प्यासी दुनिया, नाम के तेरे प्यासी है।।
 उठकर दुनिया की प्यास  बुझा दे, पन्ना  जब तक खाली  है।।
हे राही तू बहने न दे ,तेरी पानी की दुनिया प्यासी है।।
 उस सपनो से दुनियां की प्यास बुझा, जिस सपने की दुनिया प्यासी है।।
अपने तू  प्रकाश से दीप जला, जिस दीप की दुनिया  प्यासी है।
एक नई सोच की प्यासी दुनिया, नाम के तेरे प्यासी है।।
अपने जज्बात से दीप जला, दुनिया के अन्धेरे को खुद तू मिटा  ।।
अपनी इक सोच की राह बना, तेरे राह की दुनिया प्यासी है।।
अपने पानी से प्यास बुझा ,तेरे पानी की दुनिया प्यासी है।।
तेरे नाम की दुनिया प्यासी है, तेरे काम की दुनिया प्यासी है।।
एक नई सोच की प्यासी दुनिया ,नाम के तेरे प्यासी है।।

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